वैश्विक ताने-बाने में परिवर्तन :-
अमेरिकन राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के बयानों और समयांतर पर की जाने वाली टिप्पणियों के साथ अमेरिकन प्रांत द्वारा चीन पर केस दर्ज करवाने और अमेरिकन लोगों द्वारा खुले तौर पर चीन की निंदा करने से इस बात की पूरी संभावना है की अमेरिका और चीन के बीच का ट्रेड वार और ज्यादा गहरा हो सकता है जिसकी वजह से चीन से आयात होने वाले सामानों का विकल्प खोजना एक बड़ी चुनौती साबित होगा | अमेरिका किसी भी कीमत पर चीन पर अपनी निर्भरता को कम करना चाहता तो था ही लेकिन अब वो अपनी मुहिम की गति बढ़ाएगा, ऐसी स्थितियों में अमेरिका के लिए एशियाई महाद्वीप में भारत से बेहतर विकल्प कोई हो ही नहीं सकता | चीन के द्वारा खराब टेस्टिंग किट, फेस मास्क और मेडिकल उपकरण सप्लाई करने से कई देशों से उसके संबंधों में जहाँ कटुता आई है वहीँ कोरोना वायरस से सम्बन्धित सूचनाओं और जानकारियों को पब्लिक डोमेन में डालने में की गई देरी से हुई क्षति के लिए अमेरिका के अलावा अन्य कई राष्ट्र एक स्वर में चीन की आलोचना कर चुके है | ऐसे में संभव है की वैश्विक संबंधों का ताना-बाना कोविड-19 महामारी की समाप्ति के पश्चात् बदल जाए तथा चीन का वैश्विक व्यापार बुरी तरह प्रभावित हो |
एक नए वैश्विक संघठन का जन्म :-
माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक, ‘बिल एंड मेलिंडा गेट्स फ़ाउंडेशन’ के द्वारा विभिन्न वैश्विक बिमारियों के उन्मूलन में सेवारत तथा विश्व के दूसरे सबसे अधिक धनी बिल गेट्स ने हालही में अपने विचार साझा करते हुए कहा था की “कोविड-19 महामारी से सबक लेते हुए सभी राष्ट्रों को सामूहिक रूप से एक नये वैश्विक संगठन की स्थापना करनी चाहिए जो भविष्य में संभावित ऐसी किसी भी महामारी पर तेजी से कार्य करने और जनहानि से विश्व को बचाने में सक्षम हो |”
इसके अतिरिक्त ऐसी समस्या से निपटने के लिए किसी नए संगठन का प्रादुर्भाव विश्व स्वास्थ्य संगठन पर लगे विभिन्न आक्षेपों के चलते भी प्रासंगिक है | वैश्विक तौर पर होने वाली परमाणु संधियों की तर्ज पर विभिन्न देशों में निर्मित होने और परीक्षित होने वाले जैविक हथियारों पर प्रतिबंध और संधियों द्वारा पर्यवेक्षण नितांत आवश्यक है | संभव है की अपने आप को वातावरण के हिसाब से बदलने (म्यूटेट) करने वाला यह कोरोना वायरस किसी जैविक हथियार के परीक्षण का परिणाम ही हो |
वैश्विक परिदृश्य में आर्थिक स्थिति :-
कोविड-19 महामारी के विस्तार से पहले ही वैश्विक मंदी के लक्षण दिखाई दे रहे थे लेकिन इस महामारी ने तो विश्व की कई अर्थव्यवस्थाओं की कमर ही तोड़ दी | अमेरिका के लोगों को इसी बात की चिंता ने लॉक-डाउन के नियमों का उल्लंघन करने पर मजबूर कर दिया | विकसित देशों के साथ-साथ विकासशील देश भी इस महामारी के चलते आर्थिक आधार पर तो बुरी तरह से प्रभावित हुए ही है | इस वैश्विक अर्थव्यवस्था के प्रभावित होने को भी निम्न दो पक्षों से दृष्टि-गत किया जा सकता है :-
सकारात्मक पक्ष - लगभग सभी देशों में अपनी चिकित्सा सेवा और चिकित्सा उपकरणों को जल्द से जल्द विकसित करने की होड़ सी लग जायेगी | यह कोशिश रहेगी की स्वास्थ्य सेवाओं के लिए किसी अन्य राष्ट्र पर आश्रित नहीं रहना पड़े | चिकित्सा और स्वास्थ्य सेवा में विस्तार, सुधार और प्रशिक्षित रोज़गार के अवसरों में निश्चित तौर पर उछाल आएगा | लोग अपनी सेहत के प्रति जागरूक हुए है तो अपनी रोग-प्रतिरोधक क्षमता के विकास के लिए प्रयासरत होंगे जिससे की डेली सप्प्लिमेंट्स और न्यूट्रीशियस वाले उत्पादों के बाजार में भी विस्तार होगा | लॉक-डाउन और औद्योगिक गतिविधियों के बंद होने के चलते ओ.टी.टी. प्लेटफॉर्म के द्वारा मनोरंजन करने वाले दर्शकों की संख्या में ज़बरदस्त इज़ाफा हुआ है और इनका व्यापार भी बढ़ा है | एक तरफ जहाँ आर्थिक नुकसान झेलना पड़ रहा है वहीँ दूसरी तरफ पर्यावरण प्रदूषण में हुई रिकॉर्ड कमी से ERC (पर्यावरण क्षरण की लागत) में कमी भी तो आई है | ए.आई. (आर्टिफिसियल इंटेलिजेंस- कृत्रिम बुद्धिमत्ता) के उपयोग तथा भविष्य में इसकी सटीकता और व्यापक उपयोग के मार्ग भी प्रशस्त हुए है |
नकारात्मक पक्ष :- बंद पड़े उद्योग-धंधो को वापिस शुरू होने और सामान्य स्थिति में आने अभी काफी समय लगेगा जिसके चलते नियमित उपभोग की वस्तुओं की सुचारु आपूर्ति बाधित होगी व बहुत हद तक संभव भी है की वैश्विक महँगाई दर में बढ़ोतरी दर्ज की जाए | विभिन्न देशों के शेयर बाजारों की कमजोर स्थितियाँ निवेशकों की चिंता का कारण बनी हुई है | पर्यटन और होटल-रेस्टोरेंट के क्षेत्र में महामारी की समाप्ति के बाद भी आने वाले वर्षों में मंदी देखने को मिल सकती है | मंदी के दौर से गुज़र रहा परिवहन क्षेत्र और कार निर्माता कम्पनियाँ भी लम्बे समय तक इससे प्रभावित रहेंगी | सार रूप में कहा जाए तो विभिन्न आर्थिक क्रियाएँ कोरोना वायरस की वजह से नकारात्मक रूप से प्रभावित हुई है, ऐसे में घरेलू बचत और ऐसे सेवा क्षेत्र जो सकारात्मक लक्षण दिखा रहे है वही इससे उबरने का ज़रिया बनेंगे |
वर्क फ्रॉम होम कल्चर :-
कोविड-19 महामारी के चलते विभिन्न कंपनियों ने घर से कार्य की महत्ता को समझा है तथा विभिन्न शोधों के बाद पाया की घर से काम करने पर कार्य क्षमता और उत्पादकता में ज़बरदस्त उछाल दिखा है | भविष्य में ऐसी स्थिति उत्पन्न होने अथवा कार्य-स्थल की व्यापकता को सीमित करने के लिए अब वर्क फ्रॉम होम कल्चर ट्रेंड में दिखाई देगा तथा कार्य विभाजन नए सिरे से इस प्रकार डिज़ाइन किया जाएगा की इस कल्चर को प्रमोट किया जा सके |
भारतीय परिदृश्य :-
भारतीय परिदृश्य में कोरोना वायरस एवं कोविड-19 महामारी के कारण निम्न परिणाम उपस्थित होने की संभावना है :-
भारतीय प्रायद्वीप के केन्द्रीय नेतृत्व अर्थात् प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की रणनीति की वैश्विक मंचो पर खुले कंठ से प्रशंसा हुई है तथा मोदी को अग्रणी वैश्विक नेताओं की सूची में शामिल किया गया है जो भारत के लिए गर्व का विषय है |
लॉक-डाउन के चलते पुलिस विभाग के द्वारा जो सराहनीय कार्य किया जा रहा है उससे आम आदमी के दिमाग में पुलिस को लेकर बनी नकारात्मक छवि में सुधार हुआ है तथा आम आदमी और पुलिस विभाग नज़दीक आया है |
भारतीय नागरिक अधिकतर रोकड़ व्यवहार को तरजीह देते है लेकिन ऑनलाइन मोबाइल रिचार्ज और DTH सेवा के रिचार्ज के लिए लोक-डाउन के समय में अधिकतया ऑनलाइन माध्यमों का उपयोग हुआ है जिससे लोग इस बारे में जागरूक भी हुए है |
चीन से विभिन्न देशों के सम्बन्ध बिगड़ने की स्थिति में भारत चीन का विकल्प बन सकता है | संभावना है की विभिन्न कम्पनियाँ भारत की खुली अर्थव्यवस्था का लाभ उठाने के लिए अपने कारखाने और उत्पादन संयंत्र भारत में स्थापित कर सकते है जिससे रोज़गार के अवसरों में भी बढ़ोतरी हो सकती है |
भारतीय छात्र द्वारा ए.आई. तकनीक के द्वारा इस महामारी के बारे में घोषणा से भारत में इस तकनीक के विस्तार का मार्ग भी खुला है |
भारत में भी वर्क फ्रॉम होम कल्चर चलन में दिखाई देगा |
विभिन्न विद्यालयों और महाविद्यालयों द्वारा ई-लर्निंग चालू करवाई गई है, ये ई-लर्निंग भविष्य की पढ़ाई में एक महत्वूर्ण भूमिका का निर्वहन करेगी तथा छात्रों को इनफार्मेशन टेक्नोलॉजी से जल्दी जोड़ेगी |
भारतीय लोग भी अब इम्युनिटी और स्वास्थ्य के प्रति ज्यादा सजग दिखेंगे जिससे संभव है की भारतीय बाज़ारों में एमवे, वेस्टिज और हिमालया जैसी कंपनियों का व्यापार बढ़ेगा तथा संभव है की ऐसी नई कंपनियाँ भी बाज़ार में आयें |
भारत में जमाखोरी की प्रवृत्ति में इज़ाफा हो सकता है इसलिए सरकारों को पहले से ही इस बात के लिए तैयार रहना होगा |
कोविड-19 महामारी की समाप्ति के बाद हमारा जीवन पहले जैसा नहीं रहेगा, एक बहुत तीव्र बदलावों का दौर चलेगा जिसके साथ यदि बदलने हेतू यदि हम तत्पर रहे तो निश्चित तौर पर प्रगति के नए सुअवसर हमारे सामने होंगे |
आवश्यकता उन बदलावों को समझने और उनसे उत्पन्न होने वाले अवसरों का उचित लाभ उठाने के लिए खुद को तैयार करने की है |
पारिवारिक परिदृश्य :-
ऐसा नहीं है की इस कोरोना वायरस की महामारी से सिर्फ दुनिया के बाजार और आर्थिक गतिविधियाँ ही प्रभावित हुई है, मानवीय जीवन और पारिवारिक सम्बन्ध भी प्रभावित हुए है लेकिन अधिकांश सकारात्मक रूप से | बात-चीत करने, साथ खेलने, मनोरंजन, खाना खाने से खाना बनाने तक और घरेलू काम-काज में हाथ बंटाने आदि से भागदौड़ भरी जिंदगी से परिवार के सदस्यों के बीच जो दूरी और संवादहीनता घर कर गई थी उसमें कमी आई है | परिवार के लोग एक-दूसरे को समझने लगे है और उनकी भावनाओं की कद्र भी करने लगे है |
कोविड-19 महामारी हमें अनुभवों और परिवर्तनों का पुलिंदा देकर जायेगी, अब ये हम सभी के ऊपर है की हम इनका उपयोग किस प्रकार करते है ?
4 टिप्पणियाँ
शानदार आलखे।
जवाब देंहटाएंविश्व महामारी से दुनिया मे बहुत बड़ा आर्थिक और सामाजिक परिवर्तन होगा। कई रिवाज बदलेंगे कई सकारात्मक कार्य होंगे। आने वाला समय भारत का है।
जी धन्यवाद |
जवाब देंहटाएंउत्कृष्ट लेखन
जवाब देंहटाएंसंभवत इस महामारी से भारतवर्ष विश्व गुरु बन जायेगा।भारत द्वारा किये गये उपाय और कार्य,भारतीय अधिकारियों द्वारा दी गयी सेवाएं और भारतीय नागरिको का सहयोग सराहनीय है।
भगवान् से दुआ है की आपके कथन सत्य हों |
हटाएंआपकी प्रतिक्रिया निरंतर सुधार के लिए आवश्यक है | प्रतिक्रिया पश्चात् कृपया अन्य रचनाओं को पढ़कर भी अपनी प्रतिक्रिया जरूर दें |