पेड़
की सीख
दूर
तलक पसरे रेगिस्तान में पेड़ खड़ा मुस्कुराता है,
सोचो
जरा इतनी जीवटता कहाँ से लाता है ?
जड़ो
से जमीनी पकड़ बनाकर ,
भोजन
पाणी पाता है |
फल,
फूल, औखध और लकड़ी,
सब
कुछ तो दे जाता है |
महर्षि
दधिची का वंशज,
पेड़
युग प्रणेता कहलाता है |
पेड़
शान से खड़ा इठलाता है |
अपने
संघर्षो का शोक कभी न दिखलाता है,
सच
में पेड़ हमें जीना सिखलाता है |
मौसम
की मार या ऋतु का प्रहार,
पेड़
युद्धभूमि में जमकर अकड़ता है |
यदि
जीत गया तो भी दानी,
अगर
गिर पड़ा को बन जाएगा महादानी |
पेड़
हमें जीवन रहस्य बतलाता है,
त्याग
और संघर्ष की राह दिखलाता है |
जीते
जी तो भलाई सब करते है,
पेड़
अपनी मौत से भी शुभ कर्म करवाता है |
रे
मानव ! सीखना हो तो सीख पेड़ से,
वह
संकट में न घबराता है,
विश्व
कल्याण के कार्य,
विधाता
उससे करवाता है |
बना
ले अपना जीवन पेड़ सदृश तू,
अपना
ले संघर्ष और विजय का मार्ग अदृश्य तू |
ओढ़
ले त्याग और बलिदान की केसरी चादर,
बन
जा मानव से महामानव तू ||
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